हाउस वाइफ़ या हिन्दी मे कहे तो गृहणी। समय बदल गया है पर फिर भी यह शब्द सुनते है एक ऐसी महिला का चेहरा उभर कर आता है जो एकदम निरीह है। एक ऐसी शख्स जिसका जीवन सिर्फ रसोई, बच्चे, परिवार, समाज, ताने के इर्द-गिर्द घूमता रहता है। उनका काम तय है माध्यमवर्गीय है तो सिरियल देखना, या पड़ोसन से शाम की पंचायत करना और समृद्ध है तो शॉपिंग करना।
ये सिलसिला जाने कितने सदियों से ऐसे ही है। लेकिन इधर डिजिटल प्लैटफ़ॉर्म जबसे सक्रिय है तब से गृहणी सिर्फ रसोई मे नहीं रहती
अपना यूट्यूब पर चैनल बनाकर शहरवाशियों को नए नए व्यंजन बनाना सिखाती है। अब वह अपने मन को बहलाने के लिए नृत्य नहीं करती बल्कि फेसबुक पर पेज बनाकर जुम्बा ट्रेनर बन गई है।